कृष्ण भजन

कृष्ण भजन संग्रह




अधरों पे जा सजी है कन्हैया तेरी ये  वंशी.
ये तान दे निराली  बजैया तेरी ये वंशी.
हम सबको बाँधती है तेरी राह और डगर पे-
अब मन नहीं है बस में बसैया तेरी ये वंशी..

ये प्रेम तो अमर है राधा किशन से जग में.
सब लोग दिख रहे है इसमें मगन से जग में.
माहौल प्यार का ये कुदरत तभी बनाये-
जब मन करे समर्पित खुद को बदन से जग में..

दिल हो कदम्ब डाली और मुरली बज रही हो.
उसमें भी  छवि तुम्हारी दर्पण में सज रही हो.
मन मेरा बन के राधा पहलू में हो तुम्हारे-
जीवन सफल हो काया सब मोह तज रही हो ..

तेरे बस में ये जहाँ है हम सब तेरे शरण में.
बस भक्ति तेरी चाहें झुकते तेरे चरण में.
गर दिल लगे भटकने हमें राह पर लगाना-
ये अम्बरीष कहते मन हो तेरे वरण में..



जागो बंसीवारे ललना 
जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे ..

रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े .
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झनकारे ..

उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाड़े द्वारे .
ग्वालबाल सब करत कोलाहल जय जय शब्द उचारे ..

माखन रोटी हाथ में लीजे गौअन के रखवारे .
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर शरण आया को तारे ..




नंद बाबाजी को छैया
नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..
बड़ो गेंद को खिलैया  आयो आयो रे कन्हैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..

काहे की गेंद है काहे का बल्ला
गेंद मे काहे का लागा है छल्ला
कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया भैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..

रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला
गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला
सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..

नीली यमुना है नीला गगन है
नीले कन्हैया नीला कदम्ब है
सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया भैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..




बनवारी रे 
बनवारी रे

जीने का सहारा तेरा नाम रे
मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे

झूठी दुनिया झूठे बंधन, झूठी है ये माया
झूठा साँस का आना जाना, झूठी है ये काया
, यहाँ साँचा तेरा नाम रे
बनवारी रे ...

रंग में तेरे रंग गये गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा
बन गये तेरे प्रेम के जोगी, ले के मन एकतारा
, मुझे प्यारा तेरा धाम रे
बनवारी रे ...

दर्शन तेरा जिस दिन पाऊँ, हर चिन्ता मिट जाये
जीवन मेरा इन चरणों में, आस की ज्योत जगाये
, मेरी बाँहें पकड़ लो श्याम रे
बनवारी रे ...




जय कृष्ण हरे 
जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे .
दुखियों के दुख दूर करे जय जय जय कृष्ण हरे ..

जब चारों तरफ़ अंधियारा हो आशा का दूर किनारा हो .
जब कोई ना खेवन हारा हो तब तू ही बेड़ा पार करे .
तू ही बेड़ा पार करे जय जय जय कृष्ण हरे ..

तू चाहे तो सब कुछ कर दे विष को भी अमृत कर दे .
पूरण कर दे उसकी आशा जो भी तेरा ध्यान धरे .
जो भी तेरा ध्यान धरे जय जय जय कृष्ण हरे ..




प्रबल प्रेम के पाले
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .
अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..

जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा .
उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा ..

जिस्के चरण कमल कमला के करतल से निकलते देखा .
उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा ..

जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से सम्भलते देखा .
उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा ..

जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा .
उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ..




जय श्री राधा 
जय श्री राधा जय श्री कृष्ण
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

घूम घुमारो घामर सोहे जय श्री राधा
पट पीताम्बर मुनि मन मोहे जय श्री कृष्ण .
जुगल प्रेम रस झम झम झमकै
श्री राधा कृष्णाय नमः ..

राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण .
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..




आओ आओ यशोदा के लाल
आओ आओ यशोदा के लाल .
आज मोहे दरशन से कर दो निहाल .
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..

नैया हमारी भंवर मे फंसी .
कब से अड़ी उबारो हरि .
कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल .( ) 
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..

अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार .
भवसागर है अति विशाल .
लाखों को तारा है तुमने गोपाल .( ) 
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..

यमुना के तट पर गौवें चराकर .
छीन लिया मेरा मन मुरली बजाकर .
हृदय हमारे बसो नन्दलाल . ( ) 
आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..




कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा .
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा ..

गोकुल में आया मथुरा में
छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा .
अरे सांवरे देख के ज़रा
सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका ..

जमुना के पानी में हलचल नहीं .
मधुबन में पहला सा जलथल नहीं .
वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ .
छनकती मगर कोई झान्झर नहीं .

आओ कृष्ण कन्हैया 
आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ .
माखन मिश्री दूध मलाई जो चाहो सो खाओ ..




करुणा भरी पुकार सुन 
करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना ..

कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ .
करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना ..

कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो .
सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना ..

पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ .
भवसागर से पार कर अब तो उबारो मोहना ..




दर्शन दो घन्श्याम
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ..

मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी दीखे सूरत तेरी .
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ..
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले .
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ..
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ .
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ..
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..




तू ही बन जा
तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया .
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ..

इस जीवन के सागर में हर क्षन लगता है डर मुझ्को .
क्या भला है क्या बुरा है तू ही बता दे मुझ्को .
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ..

क्या तेरा और क्या मेरा है सब कुछ तो बस सपना है .
इस जीवन के मोहजाल में सबने सोचा अपना है .
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ..




राम कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि मुकुंद मुरारि .
पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि ..

विट्ठल विट्ठल पांडुरंग राम कृष्ण हरि .
पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि ..




मुकुन्द माधव गोविन्द
मुकुन्द माधव गोविन्द बोल
केशव माधव हरि हरि बोल ..

हरि हरि बोल हरि हरि बोल .
कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल ..

राम राम बोल राम राम बोल .
शिव शिव बोल शिव शिव बोल .

भज मन गोविंद गोविंद
भज मन गोविंद गोविंद गोपाला ..

हरि भजन संग्रह

जो भजे हरि को सदा 
जो भजे हरि को सदा सो परम पद पायेगा ..

देह के माला तिलक और भस्म नहिं कुछ काम के .
प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा ..

दिल के दर्पण को सफ़ा कर दूर कर अभिमान को .
खाक हो गुरु के चरण की तो प्रभु मिल जायेगा ..

छोड़ दुनिया के मज़े और बैठ कर एकांत में .
ध्यान धर हरि के चरण का फिर जनम नहीं पायेगा ..

दृढ़ भरोसा मन में रख कर जो भजे हरि नाम को .
कहत ब्रह्मानंद ब्रह्मानंद में ही समायेगा ..



हरि तुम बहुत
हरि तुम बहुत अनुग्रह कीन्हो .
साधन धाम विविध दुर्लभ तनु मोहे कृपा कर दीन्हो ..

कोटिन्ह मुख कहि जात प्रभु के एक एक उपकार .
तदपि नाथ कछु और मांगिहे दीजो परम उदार ..




हरि नाम सुमिर
हरि नाम सुमिर हरि नाम सुमिर हरि नाम सुमिर
सुख धाम जगत में जीवन दो दिन का .
जगत में जीवन दो दिन का ..

सुंदर काया देख लुभाया लाड़ करे तन का .
छूटा साँस विगत भयी देही ज्यों माला मनका ..

पाप कपट कर माया जोड़ी गर्व करे धन का .
सभी छोड़ कर चला मुसाफिर वास हुआ वन का ..

ब्रह्मानन्द भजन कर बंदे नाथ निरंजन का .
जगत में जीवन दो दिन का ..




जो घट अंतर
जो घट अंतर हरि सुमिरै .
ताको काल रूठि का करिहै जे चित चरन धरे ..

सहस बरस गज युद्ध करत भयै छिन एक ध्यान धरै .
चक्र धरै वैकुण्ठ से धायै बाकी पैंज सरै ..

जहँ जहँ दुसह कष्ट भगतन पर तहं तहँ सार करै .
सूरजदास श्याम सेवै ते दुष्तर पार करै ..




हरि हरि हरि हरि सुमिरन
हरि हरि हरि हरि सुमिरन करो हरि चरणारविन्द उर धरो ..
हरि की कथा होये जब जहाँ गंगा हू चलि आवे तहां ..
यमुना सिंधु सरस्वती आवे गोदावरी विलम्ब लावे ..
सर्व तीर्थ को वासा तहाँ सूर हरि कथा होवे जहां ..




नारायण जिनके हिरदय
नारायण जिनके हिरदय में सो कछु करम करे करे रे ..

पारस मणि जिनके घर माहीं सो धन संचि धरे धरे .
सूरज को परकाश भयो जब दीपक जोत जले जले रे ..

नाव मिली जिनको जल अंदर बाहु से नीर तरे तरे रे .
ब्रह्मानंद जाहि घट अंतर काशी में जाये मरे मरे रे ..




भजो रे भैय
भजो रे भैया राम गोविंद हरी .
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ..

जप तप साधन नहिं कछु लागत खरचत नहिं गठरी ..




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