एक प्रसिद्ध वक्ता ने सेमीनार में अपनी जेब से 2000 रुपये का नोट निकाला और
कमरे में उपस्थित लगभग 200 लोगों से पूछा – “कौन यह 2000 रुपये का नोट लेना चाहता है?”
सभी मौजूद लोगों ने अपने हाथ उठा दिए।
वक्ता ने कहा – “यह नोट मैं आपको ज़रूर दूँगा लेकिन उससे पहले मैं इसे…” –
यह कहते हुए उसने उस नोट को अपने हाथ में कसकर भींचकर दिया।
उसने फ़िर पूछा – “अभी भी किसी को नोट चाहिए?”
अभी भी सारे हाथ ऊपर उठ गए।
“अच्छा!” – वक्ता ने कहा – “और अगर मैं इस नोट के साथ यह करूँ” – कहते हुए उसने नोट को ज़मीन पर पटककर उसे अपने जूते से मसल दिया। (वैसे हम भारतवासी तो ऐसा कदापि न करें)
उसने फ़िर वह गन्दा तुड़ा-मुड़ा सा नोट उठाया और फ़िर से कहा – “क्या अब भी कोई इसे लेना चाहेगा?”
अभी भी सारे लोग उसे लेने के लिए तैयार थे।
“दोस्तों” – वक्ता ने कहा – “आप सभी ने आज एक बेशकीमती सबक सीखा है। इस नोट के साथ मैंने इतना कुछ किया पर सभी इसे लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि इसकी कीमत कम नहीं हुई। यह अभी भी 2000 रुपये का नोट है”।
“हमारी ज़िंदगी में हमें कई बार गिराया, कुचला और अपमानित किया जाता है पर इससे हमारी कीमत – हमारा महत्त्व कम नहीं हो जाता।
इसे हमेशा याद रखें”।
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Friday 12 May 2017
महत्त्व
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