Sunday, 23 April 2017

पुण्यभूमि भारत

पुण्यभूमि भारत
स्वामी विवेकानंद लगभग चार वर्ष तक विदेश में रहे । वहाँ उन्होंने लोगों के मन में भारत के बारे में व्याप्त भ्रमों को दूर किया तथा हिन्दू धर्म की विजय पताका सर्वत्र फहरायी । जब वे भारत लौटे तो उनके स्वागत के लिए रामेश्वरम के पास रामनाड के समुद्र तट पर बहुत बडी संख्या में लोग एकत्र हुए । उनका जहाज़ जैसे ही दिखायी दिया, लोग उनकी जय-जयकार करने लगे ।
           पर स्वामी जी ने जहाज से उतरते ही सबसे पहले भारतभूमि को दंडवत प्रणाम किया । फिर वे हाथों से धूल उठाकर अपने शरीर पर डालने लगे । जो लोग उनके स्वागत के लिए मालाएँ आदि लेकर आये थे, वे हैरान रह गये । उन्होंने स्वामी जी से इसका कारण पूछा।
       स्वामी जी ने कहा - मैं जिन देशों में रह कर आया हूँ, वे सब भोगभूमियाँ है । वहाँ के अन्न-जल से मेरा शरीर दूषित हो गया है । अत: मैं अपनी मातृभूमि की मिट्टी शरीर पर डालकर उसे फिर से शुद्ध कर रहा हूँ।

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