राष्ट्रधर्म पर अपनी आँखों के सामने अपने पुत्र को बलिदान करने वाली माताएँ, केवल हिंदुस्तान की माटी में ही जन्म लेतीं है। जब राज सिंहासन पर कब्जा करने के लिए दासी पुत्र वनवीर ने राणा विक्रमादित्य की षड्यंत्र पूर्वक हत्या करने बाद राज्य के उत्तराधिकारी महाराणा सांगा के पुत्र उदय सिंह की हत्या करने के लिए वह दुष्ट युवराज के निवास कुम्भा महल की ओर बड़ा। तब गुप्तचर से सूचना पाकर उनका पालन पोषण करने वाली धाय माँ पन्ना ने युवराज उदयसिंह के प्राणों की रक्षा करने के लिए उनको जूठी पत्तलों के ढेर में छुपा कर एक विश्वासपात्र कर्मचारी के साथ सुरक्षित महल से बाहर पहुँचा दिया तथा युवराज के पळंग पर अपने एकलौते पुत्र चंदन को सुला दिया दिया। जब दुष्ट वनवीर ने पूछा कि उदयसिंह कहाँ है तो माँ पन्ना ने अपने सोये हुए पुत्र की ओर संकेत कर दिया और उस दुष्ट ने उदयसिंह समझ कर माँ पन्ना के सामने ही तलवार से उनके पुत्र की हत्या कर दी।
यह माँ अपने पुत्र की मृत्यु पर दो आँसू भी नहीं बहा सकी। उदय सिंह को सुरक्षित पड़ोसी राज्य में ले जाकर माँ पन्ना ने प्रतिकूल परिस्थियों में उदय सिंह की उनके महाराणा बनने तक परवरिश कर राष्ट्रधर्म को निभाया वह माँ हिंदुस्तान के लिए सदैव प्रेरणादायी तथा वंदनीय रहेगी।
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