अपने अन्दर देशभक्ति की पहचान
अखिल भारत से लेकर परिवार की छोटी से छोटी इकाई गाँव तक देशभक्ति का काम विद्यमान है, गाँव/मुहल्ला एक ऐसी इकाई है जहाँ न तो बहुत बड़ा क्षेत्र है और न ही बहुत अधिक छोटा। देशभक्ति से ही आएगा ग्राम/मुहल्लों में स्वराज और सुराज।
आज भी ग्रामवासियों और मुहल्लेवालों को यह नहीं पता की अपना देश चलता कैसे है? देश के लिए नागरिक इन्हीं स्थानों से आते हैं। भारत के बड़े बड़े शहर गाँव से आये नागरिकों से और इन मुहल्लों से ही बने। ये नागरिक जिस योग्ता के गाँव में थे बैसे ही नागरिकों से शहर बन गए। अपनी उन्नति के अवसर खोजते खोजते लोग शहरों में बस गए। इस समय अधिकांश लोगों में केबल नाम की देशभक्ति गाँवों और शहरों में दिखाई देती। गांधी जी का ताबीज लटकाए घूमनेवाले लोगों की धूम है, गांधी जी का दर्शन जीवन से कोसों दूर हो गया।
देश का हर नागरिक देश भक्त होगा तभी देश चहुँमुखी उन्नति करेगा। छोटी छोटी बातों से जानिये अपने अन्दर की देशभक्ति को। हर नागरिक में देशभक्ति होने की पहचान क्या है? स्वयं अपनी देशभक्ति जाँचिए:-
अगर आप अपने बच्चों को अपना करियर बनाने का पाठ बचपन से पढ़ा रहे हो तो निश्चित मानिये आप देशभक्त कतई नहीं हैं। यदि आप अपने बच्चों को बचपन से देश का करियर बनाने का गुण सिखा रहे हैं तो आप असंदिग्ध रूप से देशभक्त हैं।
आप अपने अन्दर ऐसा आदमी ढूँढिये जिसका करियर बन गया हो और वह अब देशभक्ति के काम में लग गया हो? जितने करियरिस्ट लोग हैं उनको अपने जीवन के अंदर झाँकना है और सवयं देखना है कि वह स्वयं, अपने पावर का उपयोग देश के हित में कर रहे हैं या अपने ही घर की समृद्धि के लिए प्रयासरत है, यदि आप आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गए हैं फिर भी आप अपने ही परिवार में व्यस्त हैं, आपको अपने परिवार से ही फुर्सत नहीं मिल रही है तो आप निश्चित मानिये आप देशभक्त कतई नहीं हैं।
आप अपनी दिनचर्या में से अपने मोहल्ले, गाँव के लिए प्रतिदिन दो घण्टे का भी समय नहीं देते हो तो आप बिलकुल भी देशभक्त नहीं हो। यदि आप सुबह से साम तक केबल और केबल अपनी और अपने परिवार की समस्याओं को सुलझाने में व्यतीत करते हो तो आप रंचमात्र भी देशभक्त नहीं हो।
देशभक्ति का सरल सा अर्थ है कि आप अपने आसपास अपने मोहल्ले में, मोहल्ले की समस्याओं को सुलझाने का वातावरण वनाने के लिए प्रतिदिन एक स्थान पर एकत्रित होते हो और घंटे दो घंटे उन समस्याओं के समाधान के लिए सामूहिक प्रयत्न करते हो, यदि आप ऐसा नहीं कर पा रहे हो तो इसका एकमात्र कारण, अपने अंदर देशभक्ति की कमी है।
देशभक्ति में कोई छोटा-बड़ा , ऊँचा-नींचा नहीं होता, यदि अपने सामाजिक कार्य में पद, जाति, धन के कारण सुप्रियटी या इनफियरिटी से ग्रसित हैं तो आपको अपने अंदर देशभक्ति जगाना चाहिये, जिससे आप दूसरों को अपने बराबर समझ सको। देशभक्ति विनम्र बनाती है। आज सबको अपने अन्दर आजाद देश की देशभक्ति जगाना है।"
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