Saturday, 29 April 2017

उठो! विप्र अंगड़ाई लो

उठो! विप्र अंगड़ाई लो, चाणक्य पुनः बन जाओ तुम!
शास्त्र पढ़ो, शस्त्र गहो, दुनिया  में फिर छा जाओ तुम!!
भीष्म, कर्ण व द्रोण ने, जिनसे  शस्त्र का  ज्ञान लिया!
कल्पकाल  तक  रहने का,  जिसको  है वरदान मिला!!
जो  भृगुवंशी , जो  जमदग्नि सुत, जो  रेणुका नंदन हैं!
जटाजूट  परशुधारी  उस  ब्राम्हण  का  अभिनंदन  है!!

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