Wednesday, 26 April 2017

ईश्वर

ईश्वर केवल असुरों के नाश के लिए या धर्म की स्थापना के लिए अवतार नहीं लेते हैं ये कार्य तो वे अपने धाम से भी कर सकते है
भृकुटि बिलास जासु जग होई। अर्थात जिनकी भौंह के इशारे से ही जगत की रचना हो जाती है उन्हें इतने से कार्य के लिए अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है  वो केवल करुणावश इसलिए अवतार लेते हैं क्योंकि युगों युगों से कोई शबरी उनकी प्रतीक्षा कर रही है किसी उपवन में गोपियाँ उनकी एक झलक के लिए तरस रही हैं

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