ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवाः।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरन्ङ्गैस्तुष्टुवागं सस्तनूभिः।
व्यशेम देवहितम् यदायुः।
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
Pages
- Home
- हमारे भगवान
- संतों की कहानियाँ
- वीर राजा
- हमारे क्रांतिकारी
- आदर्श नारियाँ
- वीर बालक
- हमारे समाज सुधारक
- प्रेरक लघु कथायें
- प्रेरक प्रसंग
- प्रेरक बाल कहानियाँ
- संघ नीव में विसर्जित
- तेनाली राम की कहानियॉ
- सिंहासन बत्तीसी
- अकबर बीरबल
- सोलह संस्कार
- भारतीय वांग्मय
- व्यक्तित्व विकास
- योगासन
- एकात्मता स्तोत्र
- प्रेरणा भजन
- कृष्ण भजन
- राम भजन
- संध्या वंदन
- प्रेरक विडियो 1
- प्रेरक विडियो 2
- प्रेरक विडियो 3
- संपर्क
Friday, 28 April 2017
स्वस्ति वाचन
Labels:
श्लोक
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment