Tuesday, 27 December 2016

छोटा भगवान

छोटा भगवान
दादी कहती अपने घर का
तू छोटा भगवान है रे ।
वे क्यों झूठ कहेंगी उनको
सभी बात का ज्ञान है रे।।
बैठ  रात को बड़े मजे से
मैं जो चित्र बनाता हूँ ।
सारे जीवित हो जाते हैं
जब सपनों में जाता हूँ ।
सूरज मुझसे पहले उठ
शायद वे चित्र चुराता है ।
सारा दिन वह उन चित्रों की
पूरी फिल्म दिखाता है ।
मेरे चित्र चुराकर देखो
बनता बड़ा महान है रे।।
काम बहुत है ईश्वर को
सारा संसार चलाना है ।
इसीलिए छोटे ईश्वर को
उसका हाथ बटाना है ।
कैसे जगत लगेगा प्यारा
उसका चित्र बनाना है ।
मेरे मन में इन चित्रों का
अद्भुत भरा खजाना है ।
हर दिन सुंदर नया नया हो
इसका रखना ध्यान है रे ।।
ये पहाड़ यह नदी बगीचे
पशु पक्षी उनके छौने ।
यह धरती आकाश फूल
ये बादल पेड़ बड़े बौने ।
इन्हे बनाया मैंने ही तो
प्यारे प्यारे रंग भरे ।
छोड़ो भीअब कौन लड़ाई
इस सूरज के संग करे
दादी को कह दूँ तो इसके
जा पकड़ेगी कान है रे ।।
         रचना - गोपाल माहेश्वरी

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