जो मनुष्य भगवान की नि:स्वार्थ सेवा
करता है, उसके हृदय
में दया प्रेम का वास होता है। प्रत्येक मनुष्य में सरलता का भाव होना चाहिए।
सरलता से कठिन से कठिन कार्य सहज हो जाते हैं। भगवान राम के चरित्र का किया गया
वर्णन शास्त्री जी ने श्री नर्मदा पुराण कथा में भगवान के राम के चरित्र का वर्णन
करते हुए कहा कि भगवान राम अखण्ड ब्रह्माण्ड के अधिपति होते हुए भी कितने सरल
स्वभाव के थे। वह हर मनुष्य से सहज, सरल भाव से
मिलते थे। रामचरित मानस में शबरी के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि शबरी एक भील
कन्या थी, परन्तु सरल
भाव से ईश्वर भक्ति करने से ईश्वर को प्राप्त कर देव मय हो गई थी। प्रत्येक मनुष्य
के लिए ईश्वर भक्ति सर्वश्रेष्ठ मानी गई, क्योंकि ईश्वर भक्ति ही नर को नारायण
बना देती है। सच्ची भक्ति से प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है। भगवान की कृपा
भक्तों पर हमेशा बनी रहती है। मनुष्य ज्यों-ज्यों भगवान की भक्ति में लीन होता है, वह भगवान के प्रति समर्पित होता जाता है, तब भक्त और भगवान एक हो जाते हैं। इसका
पुराणों, शास्त्रों, श्रीमद् भागवत गीता में उल्लेख है।
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