Friday 29 September 2017

रिश्ते

कार से उतरकर भागते हुए हॉस्पिटल में पहुंचे नोजवान बिजनेसमैन ने पूछा :-
“डॉक्टर, अब कैसी हैं माँ?“
हाँफते हुए उसने पूछा।

अब ठीक हैं । माइनर सा स्ट्रोक था ।
ये बुजुर्ग लोग उन्हें सही समय पर लें आये, वरना कुछ बुरा भी हो सकता था ।
*डॉ ने पीछे बेंच पर बैठे दो बुजुर्गों की तरफ इशारा कर के जवाब दिया l*

“रिसेप्शन से फॉर्म इत्यादि की फॉर्र्मलिटी करनी है अब आपको।
डॉ ने जारी रखा।

थैंक यू डॉ. साहेब, वो सब काम मेरी सेक्रेटरी कर रही हैं l
अब वो रिलैक्स था।
फिर वो उन बुजुर्गों की तरफ मुड़ा......

थैंक्स अंकल, पर मैनें आप दोनों को नहीं पहचाना।
सही कह रहे हो बेटा,
तुम नहीं पहचानोगे क्योंकि *हम तुम्हारी माँ के वाट्सअप फ्रेंड हैं ।*
एक ने बोला l

क्या, वाट्सअप फ्रेंड ?
चिंता छोड़, उसे अब अचानक से अपनी माँ पर गुस्सा आया।
*60 + नॉम का  वाट्सप ग्रुप है हमारा।*
सिक्सटी प्लस नाम के इस ग्रुप में साठ साल व इससे ज्यादा उम्र के लोग जुड़े हुए हैं ।
इससे जुड़े हर मेम्बर को उसमे रोज एक मेसेज भेज कर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी अनिवार्य होती है ।
साथ ही अपने आस पास के बुजुर्गों को इसमें जोड़ने की भी ज़िम्मेदारी दी जाती है।

महीने में एक दिन हम सब किसी पार्क में मिलने का भी प्रोग्राम बनाते हैं ।
जिस किसी दिन कोई भी मेम्बर मेसेज नहीं भेजता है तो उसी दिन उससे लिंक लोगों द्वारा, उसके घर पर उसके हाल चाल का पता लगाया जाता है ।

आज सुबह तुम्हारी माँ का मैसेज न आने पर हम 2 लोग उनके घर पहुंच गए......
वह गम्भीरता से सुन रहा था ।
*“पर माँ ने तो कभी नहीं बताया।“*
उसने धीरे से कहा।

माँ के पास अंतिम बार कब बैठे थे। उनसे उनकी जरूरत के बारे मे पूछा था।
क्या तुम्हें याद है ?
एक ने पूछा।

बुजुर्ग बोले.....
बेटा, तुम सबकी दी हुई सुख सुविधाओं के बीच, अब कोई और माँ या बाप अकेले घर मे कंकाल न बन जाएं......
बस यही सोच ये ग्रुप बनाया है हमने ।
वरना दीवारों से बात करने की तो हम सब की आदत पड़ चुकी है l

*उसके सर पर हाथ फेर कर दोनों बुझुर्ग अस्पताल से बाहर की ओर निकल पड़े ।*

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