Friday 5 May 2017

अफजल खान वध

1659 की बात है........सारा मुग़ल साम्राज्य शिवा के नाम से कांप रहा था...........हिन्दू पद्पादशाही की बढ़ती प्रतिष्ठा और शक्ति से सब घबराए हुए थे।
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इससे तंग आकर आदिलशाही ने अपने सबसे क्रूर और ताकतवर सेनापति अफजल खान को शिवाजी को पकड़ने अथवा मारने का काम सौंपा।
अफजल खान ने पूरा विस्तृत अध्ययन किया .....की कौन सी बातें शिवा को प्रिय हैं.......और अपने 10 लाख सैनिकों के साथ शिवाजी को पकड़ने चल दिया........
जहाँ भी मंदिर मिलते,,,,,सबको तोड़ता,,,,,नरसंहार करता,,,,,लूटपाट करता,,,,,,महिलाओं का शीलभंग( बलात्कार ) करते हुए , आगे बढ़ता रहा।
शिवाजी को प्रत्येक घटना की जानकारी मिल रही थी।

आगे बढ़ते हुए उसने तुलजापुर में शिवाजी की कुलदेवी माँ तुलजा भवानी का मंदिर भी तोड़ दिया,,,,,,,,शिवा तब भी मौन रहे।
आगे बढ़ते हुए,,,,पंढरपुर के मंदिरों में भी लूटपाट करते हुए उन्हें नष्ट कर दिया.............शिवा तब भी मौन रहे है।।।।
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क्योकि वह किसी भी प्रयत्न से शिवा को अपने अनुसार युद्ध मैदान में लाना चाहता था.....जहाँ उसकी विजय हो।।
लेकिन उसके सभी प्रयत्न विफल रहे।
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और तब भी शिवा ने प्रत्युत्तर नहीं दिया.....तो उसने शिवाजी को " पहाड़ी चूहा " .......डरपोक,,,,,,,,और न जाने क्या क्या कहा।
लेकिन शिवा मौन रहकर अपनी योजना पर कार्य करते रहे.........
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अफजल ने लाख कोशिशें की ,,,,ताकी शिवा बाहर आए.....और उसके सैनिक शिवा को बंदी बना लें.......
लेकिन शिवा प्रतापगढ़ के किले में पहुँच गए , जो की चहुँओर पहाड़ और जंगलों से घिरा हुआ था और नजदीक में एक समतल मैदान था.........जहाँ पर अफजल शिवा को लड़ने हेतु बुलाना चाहता था।
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जब उसके सारे प्रयास व्यर्थ गए तब उसने कृष्णा जी नामक अपना दूत शिवा के पास भेजा......शिवा ने उनका खूब स्वागत सत्कार किया।
और बातों ही बातों में शिवा जान गए,,,,की अफजल वार्ता के बहाने उन्हें मारना चाहता है.........तब शिवाजी ने भी चाल चलते हुए उसी की तरह बनने का नाटक किया......अपनी दाढ़ी बढ़ाई........ मुग़ल वेशभूषा धारण करने लगे......सामान्य मराठा पगड़ी की जगह नई टोपी नुमा पगड़ी पहनने लगे।
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और आख़िरकार 10 नवंबर 1659 का दिन तय किया गया , अफजल से मिलने के लिए.......एक शर्त के साथ की हमारी वार्ता के दौरान कोई सैनिक नहीं होगा।
अफजल ने शर्त मान ली.......और एक मैदान में पंडाल में शिवा और अफजल की मुलाकात हुई.............शिवा को अफजल के इरादे पता थे.....इसलिए शिवा तैयार होकर ही आए थे।
पूर्णतः......मुग़ल वेशभूषा में.........लेकिन अपनी पगड़ी ने नीचे कवच पहनकर.......और हाथों में कलावा के नीचे बघनखा पहनकर।
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शिवा ,,,,अफजल से गले मिलने के लिए बढ़े,,,,और अफजल ने गले मिलने के बहाने उनके सिर पर कटार का वार किया......जो की टोपीनुमा पगढ़ी में पहने हुए कवच के कारण व्यर्थ हो गया।
....और अगला वार शिवा ने करते हुए......अफजल का पेट चीर दिया।।
........मुग़ल सेना में हाहाकार मच गया.....क्योकि आदिलशाही का सबसे बड़ा और वीर सेनापति मारा जा चुका था , मुग़ल सेना तहस नहस हो गई .....जिसे जहाँ रास्ता मिला वहाँ भागा।।

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