Thursday 25 May 2017

खुदीराम बोस

मित्रों, मात्र 18 वर्ष की उम्र में भारत माता के चरणों में अपने प्राण न्योछावर करने वाले प्रथम सेनानी खुदीराम बोस माने जाते हैं। जो देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए थे। कलकत्ता (अब कोलकाता) में किंग्सफर्ड चीफ प्रेजिडेंसी मैजिस्ट्रेट को बहुत सख्त और क्रूर अधिकारी माना जाता था। वह अधिकारी देशभक्तों खासतौर पर क्रांतिकारियों को तंग करता था। क्रांतिकारियों ने उसकी हत्या का फैसला किया। युगांतर क्रांतिकारी दल के नेता वीरेंद्र कुमार घोष ने घोषणा की कि किंग्सफोर्ड को मुजफ्फरपुर (बिहार) में ही मारा जाएगा। इस काम के लिए खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चंद को चुना गया।दोनों क्रांतिकारी सूझबूझ वाले माने जाते थे। दोनों मुजफ्फरपुर पहुंचकर एक धर्मशाला में आठ दिन रहे। इस दौरान उन्होंने किंग्सफर्ड की दिनचर्या और गतिविधियों पर पूरी नजर रखी। उनके बंगले के पास ही क्लब था। अंग्रेजी अधिकारी और उनके परिवार के लोग शाम को वहां जाते थे। 30 अप्रैल, 1908 की शाम किंग्सफर्ड और उसकी पत्नी क्लब में पहुंचे। रात के साढे़ आठ बजे मिसेज कैनेडी और उसकी बेटी अपनी बग्घी में बैठकर क्लब से घर की तरफ आ रहे थे। उनकी बग्घी का रंग लाल था और वह बिल्कुल किंग्सफर्ड की बग्घी से मिलती-जुलती थी। खुदीराम बोस तथा उनके साथी ने किंग्सफर्ड की बग्घी समझकर उसपर बम फेंका, जिससे उसमें सवार मां-बेटी की मौत हो गई। वे दोनों यह सोचकर भाग निकले कि किंग्सफर्ड मारा गया है।दोनों करीब 25 मीले दूर एक रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। बोस पर पुलिस को शक हो गया और पूसा रोड रेलवे स्टेशन (अब यह स्टेशन खुदीराम बोस के नाम पर है) पर उन्हें घेर लिया। अपने को घिरा देख प्रफुल्ल चंद ने खुद को गोली मार ली पर खुदीराम पकड़े गए। खुदीराम बोस पर हत्या का मुकदमा चला। उन्होंने अपने बयान में स्वीकार किया कि उन्होंने किंग्सफर्ड को मारने का प्रयास किया था। यह मुकदमा केवल पांच दिन चला। 8 जून, 1908 को उन्हें अदालत में पेश किया गया और 13 जून को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 11 अगस्त, 1908 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया।

मुजफ्फरपुर जेल में जिस मैजिस्ट्रेट ने उन्हें फांसी पर लटकाने का आदेश सुनाया था, उसने बाद में बताया कि "खुदीराम बोस एक शेर के बच्चे की तरह निडर होकर फांसी के तख्ते की ओर बढ़े थे।" श्री खुदीराम बोस की शहादत ने क्रांति की ऐसी ज्वाला प्रज्वलित की जिसने क्रांतिकारियों को संघर्ष की प्रेरणा दी।

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