Monday 15 May 2017

सुख की माया

एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।
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शाम हो गई थी।
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अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया।
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गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं |
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जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे।
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इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा।
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वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा ?
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उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था।
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हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं।
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एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी।
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कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी।
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अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया।
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तभी उस जंगल से भगवान अपने वाहन से गुजरे।
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भगवान ने उसके पास जाकर कहा - मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो।
उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।
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एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार।
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आखिर थक-हारकर भगवान् चले गए।
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मित्रों..
वह जिस जंगल में जा रहा था,
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वह जंगल है दुनिया,
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अंधेरा है अज्ञान
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पेड़ की डाली है आयु
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दिन-रात दो चूहे उसे कुतर रहे हैं।
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घमंड मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है।
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शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है.....।
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यानी,
सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते......।

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