Wednesday 24 May 2017

सुकरात

यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक ''सुकरात '' समुन्द्र तट पर टहल रहा था ,,
समुन्द्र के तट पर एक बच्चे को रोते हुए देखकर ,,पास आकर प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछने लगा ,,''बालक तू क्यूँ रो रहा है ?''
तब बालक कहने लगा ,,''ये जो मेरे हाथ में प्याला है मैं उसमे समुन्द्र भरना चाहता हूँ ,पर ये मेरे प्याले में समाता नहीं ,,,''

ये बात सुन के सुकरात विसमाद में चले गये और रोने लगे .
बच्चा कहने लगा ,,''आप भी मेरी तरह रोने लगे ,,पर आपका प्याला कहाँ है ?''
सुकरात ने जवाब दिया ,,''बालक ,तुम छोटे से प्याले में समुन्द्र भरना चाहते हो ,,मैं अपनी छोटी सी बुद्धि में सारे संसार की जानकारी भरना चाहता हूँ ..आज तुमको देखकर पता चला की समुन्द्र प्याले में नहीं समा सकता ..''

ये बोल सुन के बच्चे ने प्याले को जोर से समुन्द्र में फेंक दिया और बोला ,,''सागर
अगर तुन मेरे प्याले में नहीं समा सकता तो मेरा प्याला तो तुम्हारे में समा सकता है ,,''
सुकरात बच्चे के पैरों में गिर पड़ा और कहने लगा ,,'' बहुत कीमती सूत्र हाथ में लगा है ,,,
हे परमात्मा
आप तो सारा का सारा मुझ में नहीं समा सकते पर मैं तो सारा का सारा तेरे में
लीन हो सकता हूँ ...''

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