Friday 24 March 2017

"भगवान"

एक सब्ज़ी वाला था सब्ज़ी की पूरी दुकान साइकल पर लगा कर घूमता रहता था।

"भगवान" उसका तकिया कलाम था।

जब कोई पूछता
"आलू कैसे दिये ? "

वो कहता ,
"10 रुपये भगवान !"

हरी धनीया है क्या ?
वो कहता,
"बिलकुल ताज़ा है भगवान। "

वह सबको भगवान कहता था, लोग भी उसको भगवान कहकर पुकारने लगे।

एक बार किसी ने उससे पूछा :
"तुम्हारा कोई असली नाम है भी या नहीं ? "

"है न भगवान भैयालाल पटेल" : उसने कहा ।

तुम हर किसी को भगवान क्यों बोलते हो।

तब उसने कहा :
"भगवान में शुरू से अनपढ़ गँवार हूँ।
गॉव में मज़दूरी करता था,
गाँव में एक नामी सन्त की कथा हुईं ,

कथा मेरे पल्ले नहीं पड़ी लेकिन एक लाइन मेरे दिमाग़ में आकर फँस गई,
उन्होंने कहा हर इन्सान में भगवान हैं
बस तलाशने की कोशिश तो करो पता नहीं किस इन्सान में तुमको मिल जाय ओर तुम्हारा उद्धार कर जाये।

बस उस दिन से मैने हर मिलने वाले को भगवान की नज़र से देखना ओर पुकारना शुरू कर दिया

वाकई चमत्त्कार हो गया दुनिया के लिए शैतान आदमी भी मेरे लिये भगवान हो गया।

ऐसे दिन फिरें कि मज़दूर से व्यापारी हो गया सुख समृद्धि के सारे साधन जुड़ते गये मेरे लिये तो सारी दुनिया ही मानो भगवान बन गईं।"

लाख टके की बात ये है कि
"जीवन एक प्रतिध्वनि है आप जिस लहजे में आवाज़ देंगे पलटकर आपको उसी लहजे में सुनाईं देंगीं

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